आधारशिला’ का हालिया अंक सातवें दशक के कथाकार पानू खोलिया के रचनाकर्म को
समझने की नई दृष्टि देता है। पानू खोलिया की गिनती उन संवेदनशील कथाकारों
में होती है, जिनकी धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका आदि प्रतिष्ठित
पत्रिकाओं में प्रकाशित आरंभिक रचनाओं ने ही उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिला
दी। ‘दंडनायक’, ‘अन्ना’, ‘एक किरती और’ जैसी मर्मस्पर्शी कहानियों के संग्रहों के साथ ही उनके उपन्यास भी खूब चर्चित हुए।
कालांतर उनके दो उपन्यास– ‘वाहन’ और ‘मुझे मेरे घर जाने दो’ प्रकाशित हुए।
इसके साथ ही उनके दो उपन्यासों – ‘सत्तर पार के शिखर’ और ‘टूटे हुए
सूर्यबिम्ब’ तथा दो कहानी संग्रह ‘अन्ना’ और ‘दण्डनायक’ ने उन्हें चौतरफा
ख्याति दिलाई। आधारशिला के समीक्ष्य अंक में खोलिया जी की आठ बहुचर्चित
कहानियां—दण्डनायक, पनचक्की, विपरीत धार, प्रतिचोट, समाधि, अकेले वोट का
हकदार, अन्ना, और तुम्हारे बच्चे- भी शामिल की गई हैं। समीक्ष्य अंक में
उनके रचनाकर्म पर आलोचनात्मक लेख तथा रचनाओं पर प्रतिष्ठित साहित्यकारों की
टिप्पणियां भी शामिल हैं। अंक में पानू खोलिया का आत्मकथ्य— ‘अपनी ही राख
से पुनर्जीवित होना’, उनसे दिवाकर भट्ट की बातचीत, उनके प्रकाश्य उपन्यास
‘कालियघाट का सच’ का अंश और उनकी दो कविताएं भी शामिल हैं। दिवाकर भट्ट ने
पानू खोलिया पर आधारशिला का विशेषांक निकालकर सार्थक कार्य किया है।
0पत्रिका : आधारशिला (पानू खोलिया विशेषांक) 0सम्पादक :
दिवाकर भट्ट 0संपादकीय कार्यालय : बड़ी मुखानी, हल्द्वानी 0पृष्ठ संख्या :
112 0मूल्य : रु.100.मैं हिन्दी सेवी तो था, लेकिन मेरे पास प्रमाण-पत्र नहीं था। लिखने को
हिन्दी में खूब लिखा और छपवाया, परन्तु प्रमाण-पत्र किसी भी संस्था में
नहीं दिया। मैं बड़े पशोपेश में था कि प्रमाण-पत्र मिल जाये तो हिन्दी सेवी
होने का गौरव भी मुझे मिल जाये।
राधेलाल मेरे परमप्रिय हैं। उन्हें अभी ताजा-ताजा ही दिल्ली की किसी गुमनाम
संस्था ने हिन्दी सेवी होने का प्रमाण-पत्र दे दिया था, जिसका समाचार
उन्होंने सचित्र स्थानीय समाचार-पत्रों में छपवाकर अपनी धाक जमा ली थी। मैं
राधेलाल के पास गया और बोला— ‘अमां यार राधेलाल, दोस्त हो लेकिन काम
दुश्मनों के जैसे करते हो। खुद ने मार लिया प्रमाण-पत्र और हम बैठे हैं हाथ
पर हाथ धरे। दोस्ती का चमत्कार दिखाओ और एक अदद प्रमाण-पत्र सम्मान हमें
भी कहीं से दिलाओ।’
राधेलाल के गर्व से रोंगटे खड़े हो गये। वैभवपूर्ण मुस्कान के बाद मुझसे बोले— ‘शर्मा हिन्दी के लिए कुछ करो। प्रमाण-पत्र हमारी तरह तुम्हें भी
देने वाले पचास आ जायेंगे। कोरे कागज काले करने से तो हिन्दी सेवी कहलाने
से रहे। हो सके तो हमारी तरह हिन्दी के लिए काम करो।’
‘आपकी तरह? आपने हिन्दी के लिए कौन-सा तीर मारा है। मेरा मतलब आपके बच्चे
अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं, आप खुद कहीं बोलते हो तो अंग्रेजी में, फिर
आपकी ऐसी कौन-सी विशेषता है, जिससे आपको हिन्दी सेवी होने का गौरव मिल गया
है।’ राधेलाल बोला— ‘शर्मा, न किसी से मिलते हो, न किसी के साथ उठते-बैठते
हो। दो पैसे खर्च करना भी सीखो प्यारे भाई। केवल काम के बूते पर हिन्दी
सेवी सेठ गोविन्द दास नहीं बना जा सकता। इस हाथ देवो, उस हाथ लेवो। तुमसे
क्या छिपाना, जिस संस्था ने मुझे हिन्दी सेवी होने का प्रमाण-पत्र दिया है, उसे मैंने पूरे पांच सौ रुपये नकद का चंदा दिया है।’
‘अरे वाह यह भी कोई बात हुई। हिन्दी सेवी होने के लिए चन्दा महत्वपूर्ण और काम करना फिजूल बात।’
राधेलाल बोला— ‘यहीं तो डिफीट खा गये शर्मा। हिन्दी की रट लगाने से कुछ
नहीं होगा। तुम बटुक लाल से मिलो। वह हर हिन्दी दिवस को हिन्दी प्रेमियों
को ऑनर देता है। मालायें और मंच उसका, श्रीफल व शाल तुम्हारा। प्रमाण-पत्र
तो फ्री में मिलेगा ही मिलेगा।’ ‘बटुक लाल, यह किस चिड़िया का नाम है?’
मैंने पूछा।
राधेलाल ने कहा— ‘यह तुम्हारे काम की चिड़िया है और इसका पता है—हिन्दी सेवी
समिति, निराला मार्ग, जवाहर नगर। कोई दिक्कत हो तो मेरे हवाले से बात कर
लेना। तीन-चार बैठकें करनी होंगी उनके साथ। थोड़ा पीते-वीते हैं, लेकिन आदमी
भले हैं। तुम्हारा काम कर देंगे। उन्हें भी हिन्दी दिवस के लिए हिन्दी
सेवी चाहिए।’
बटुक लाल के घर पहुंचा तो वे हिन्दी सेवियों की सूची को ही अन्तिम रूप दे
रहे थे। मैंने परिचय दिया और मन्तव्य बताया तो वे खुश हो गये, बोले— ‘सही
समय पर आ गये। मैं बस फाइनल कर ही रहा था। प्रेस-नोट आज चला जायेगा। बोलो
कैसे क्या करना है?’
मैंने अपना हिन्दी सेवी और पुस्तक लेखन का बायोडेटा निकाला तो वे बोले—
‘इसे रख लो अपनी जेब में। दूसरी जेब को टटोलिये, वह कितनी भरी है। भाई
हमारी संस्था नामी है। अंग्रेजीदां लोगों को भी हिन्दी सेवी बना चुकी है।
हिन्दी सेवा का मेवा लेना चाहते हो तो भाई हमारी संस्था के घाटे को पूरा करो। परसों मालाओं से लाद देंगे, प्रमाण-पत्र तो देंगे ही। बोलो चुप क्यों
हो?’
मुझे उत्तर देते नहीं बना। हिन्दी सेवा का बायोडेटा जेब में डाला और हाथ जोड़कर उनसे विदा हो लिया।
Tuesday, September 25, 2018
Thursday, September 6, 2018
आज की पाँच बड़ी ख़बरें: हिंदू धर्म के ग़लत प्रचार के आरोप में 271 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हिंदू धर्म को लेकर ग़लत प्रचार और लोगों को लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के आरोप
में कोर्ट ने 271 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.
इन
271 लोगों में ज़िले के तीन पादरी हैं, बाकियों को इनका अनाम सहयोगी बताया
गया है. कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश हिंदू जागरण मंच के
कार्यकर्ता की याचिका पर दिया है.याचिकाकर्ता ब्रजेश सिंह ने आरोप लगाया था कि जौनपुर, आज़मगढ़, वाराणसी और गाज़ीपुर ज़िले में लोगों को पिछले कुछ सालों से बालदेह गांव में चर्च की प्रार्थना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
आरोप है कि चर्च में प्रत्येक रविवार और मंगलवार की प्रार्थना के बाद उन्हें हिंदू धर्म के बारे में ग़लत बातें बताई जातीं और ईसाई धर्म को अपनाने के लिए कहा जाता है.
एफ़आईआर में कहा गया है कि चर्च में पूजा के बाद अभियुक्त उन्हें नशे की प्रतिबंधित दवाइयां देते हैं और इसी दौरान उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें ईसाई बनाया जाता है.
ब्रजेश सिंह ने एफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए दो अगस्त को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, इसके बाद कोर्ट ने 31 अगस्त को मामले में एफ़आईआर दर्ज कराने के आदेश दिए.प्रीम कोर्ट गुरुवार को दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा-377 पर फ़ैसला सुना सकता है.
फ़ैसला सुनाने वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ में चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा भी शामिल हैं.
मौजूदा वक़्त में समलैंगिक सम्बन्धों का आरोप साबित होने पर उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है. देश के एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग और मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे समलैंगिकों के अधिकारों का हनन बताते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट के 2009 के फ़ैसले को पलटते हुए इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया था.ससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदायों ने गुरुवार यानी 6 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सवर्ण लामबंद हो रहे हैं. हालांकि सबसे मुखर विरोध मध्य प्रदेश में नजर आ रहा है.
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के विरोध में दलित संगठनों ने जब इसी साल 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था तब सबसे ज़्यादा हिंसा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल में हुई थी.
इसी कारण भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के तीन ज़िलों मुरैना, भिंड और शिवपुरी में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगा दी गई है जो 7 सितंबर तक प्रभावी रहेगी.
इसके अलावा पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और भारत बंद के मद्देनजर ग्वालियर के सभी स्कूल और कॉलेज को बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं.
दरअसल एससी-एसटी एक्ट के मूल स्वरूप में केस दर्ज होते ही गिरफ़्तारी का प्रावधान है और साथ ही आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी.म्मू-कश्मीर में आज से शुरू होगी सालाना कैलास मानसरोवर यात्रा. इस यात्रा में पहली बार श्रद्धालु हेलिकॉप्टर सेवा का इस्तेमाल करेंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्रद्धालुओं के लिए हेलिकॉप्टर सेवा पहली बार शुरू की जा रही है जिसमें भद्रवाह से श्रद्धालु महज आठ मिनट में कैलास मानसरोवर के पास ऋषि डुल स्थित आधार शिविर पहुंच सकेंगे. हेलिकॉप्टर सेवा छह से नौ सितंबर तक सिर्फ तीन दिनों के लिए उपलब्ध होगी.
ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि यात्रा के लिए छड़ी करीब 13,000 फ़ुट की ऊंचाई पर स्थित भद्रवाह से कैलास कुंड में वासुकी नाग मंदिर से ली जाएगी.
श्रद्धालु उधमपुर एवं कठुआ से पैदल यात्रा करते हुए विभिन्न मार्गों से होते हुए मुख्य मंदिर कैलास कुंड पहुंचेंगे.
अमरीका ने निकारागुआ से राजनीतिक कारणों से पिछले पांच महीनों से हिरासत में रखे गए सरकार विरोधी कार्यकर्ताओं को रिहा करने का आग्रह किया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने राष्ट्रपति डैनियल ओर्टेगा की सरकार पर लोगों के मूलभूत मानवाधिकारों को नज़रअंदाज़ करने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि इस अशांति से हिंसा और अस्थिरता फैली है.
हिंसा में 300 से अधिक लोगों को मारे जाने का अंदेशा है. वहीं, निकारागुआ के उप-राष्ट्रपति रोसारियो मुरियो ने कहा कि उनका देश बाहरी शक्तियों से भयभीत नहीं होगा.
हिंसा की जांच कर रहीं फ़्रांस्वा हैंपसन ने कहा कि मरे हुए लोगों की संख्या का सही अनुमान लगाना मुश्किल है.
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